SATISFACTION

------ संतुष्टि ------

एक सिद्ध महात्मा से मिलने पहुंचे एक गरीब‌ दम्पत्ति ने देखा,
कि कूड़े के ढेर पर सोने का एक चिराग पड़ा हुआ था।

दम्पत्ति ने महात्मा से पूछा,
तो महात्मा ने बताया कि ये तीन इच्छाएं पूरी करने वाला एक बेकार सा चिराग है।
और ये बहुत ही खतरनाक भी है।
क्योंकी जो भी इसको उठाकर ले जाता है,
वो वापस यहीं कूड़े में फेंक जाता है।

गरीब दम्पत्ति ने जाते समय वो चिराग उठा लिया‌,
और घर पहुंचकर उससे तीन वरदान मांगने बैठ गए।

दम्पत्ति गरीब थे तो उन्होंने सबसे पहले दस लाख रूपए मांगकर चिराग को परखने के लिए सोचा।

जैसे ही उन्होंने रूपए मांगे तभी दरवाजे पर एक दस्तक‌ हुई‌।
जाकर उन्होंने दरवाजा खोला तो एक आदमी रुपयों से भरा हुआ एक बैग और एक लिफाफा थमा गया।

लिफाफे में एक पत्र था।
जिसमें लिखा हुआ था कि मेरी‌ कार से टकराकर आपके पुत्र की मृत्यु हो गई है,
और जिसके पश्चात्ताप स्वरूप ये दस लाख रूपए मैं आपको भेज रहा हूं।
कृपया मुझे माफ करिएगा।

अब उन दम्पत्ति को काटो तो खून नहीं।
पत्नी दहाड़े मार-मारकर रोने लगी।

तभी पति को ख्याल आया और उसने चिराग से दूसरी इच्छा बोल दी,
कि उसका बेटा वापस आ जाए।

थोड़ी देर बाद दरवाजे पर एक दस्तक हुई और पूरे‌ घर में अजीब सी आवाजें आने लगीं।
घर के सभी बल्ब तेजी से जलने और बुझने लगे।
उसका बेटा प्रेत बनकर वापस आ गया था।

दम्पत्ति ने प्रेतरूप देखा तो वे बुरी तरह डर गए,
और‌ हड़बड़ी में चिराग से तीसरी इच्छा के रूप में प्रेत रूपी पुत्र की मुक्ति की मांग कर दी।

बेटे की मुक्ति के बाद रातों रात वे आश्रम पहुंचे,
और चिराग को कूड़े के ढेर पर फेंककर बहुत ही दुखी मन से वापस लौट आए।

------ तात्पर्य ------
हम सब भी अपनी जिंदगी में उस दम्पत्ति की तरह ही हैं।

हमारी इच्छाएं बेहिसाब हैं।
जब एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी सताने लगती है,
और जब दूसरी पूरी हो जाए तो फिर तीसरी सताने लगती है।

इसलिए ईश्वर ने हमें जो कुछ भी दिया है,
हमें उसमें ही संतुष्ट रहना चाहीए।
और हमें सफलता के लिए कोई भी शार्टकट नहीं अपनाने चाहिएं।

क्योंकी सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता है,
बल्कि ये तो सिर्फ और सिर्फ संघर्ष करने से ही मिलती है....

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