Heart touching story

True heart  touching story
(दया मेहर की बात )
लंगर में जब खाना (गुरुप्रसाद )दिया जाता है तो बार-बार Annoucement की जाती है कि जितनी जरूरत हो उतना ही लिया जाए क्योंकि उस पर गुरु की दृष्टि पड़ी होती है और वैसे भी हमें अपने अन्न का निरादर नहीं करना चाहिए । एक बच्चा Handicap था ठीक से खाना भी नहीं खा सकता था, लंगर में बैठा था । खाना खाने की कोशिश कर रहा था, थोड़ी दूरी पर एक औरत यह सब देख रही थी । उसका मन दया से भर गया कि बच्चा बेचारा खाना नहीं खा सकता और बच्चे की जो लार मुंह से निकल निकल कर थाली में (सब्जी में) गिर रही थी, उस औरत ने उसके पास जाकर उस बच्चे को छोटे-छोटे टुकड़े रोटी के तोड़ कर मुंह में डाले, बेटा खा ले तुझ से खाया नहीं जाता ,कुछ खाना खाया कुछ थाली में रह गया जब वो टूटियों की तरफ जाने लगी तो सेवादारों ने पकड़ लिया ,अब वह बेचारी बर्तन धोने जा रही थी सेवादारों ने कहा कि इसे खा, खाने के बाद बर्तन धोना है खाली करके ।  औरत रोने लगी उसने बात समझाई यह बच्चा मेरा नहीं है, ये खाना नहीं सकता, खाने में इसकी मदद कर रही थी। ये बच्चा मेरा नहीं है । सेवादारों ने उसकी एक न सुनी और उसे कहा हम नहीं जानते तू झूठ बोल रही है तू खाना खा । एक घंटा रोती रही। अब अपना झूठा तो खाया नहीं जाता दूसरे का मुंह से निकाला हुआ खाना कौन खाए ? खैर जब 2 घंटे रोती रही सेवादारों ने उसे नहीं छोड़ा आखिर मन समझा-बुझाकर किसी तरह से उसने उस खाने को खत्म किया ,बाद में वह औरत बहुत रोई और ड़ेरा समिति के पास पहुंच गई बोली कि मुझे गुरूजी से बात करनी है। जब  सामने पेश हुई उसने जाते ही कहा गुरूजी जी मेरा क्या कसूर था  ? आप के सेवादारों ने मेरे साथ धक्का किया, मुझे जबरदस्ती दूसरे का झूठा खाना खिलाया तो गुरूजी ने कहा बीवी वो 4 सेवादार तुम्हें खाना खिला रहे थे उसमें 5वां मैं भी था ,वह सुनकर हैरान हो गई । गुरूजी ने कहा क्योंकि तुझे गुरु ने नाम दान दिया है तेरे करम बहुत भारी थे और तुझे अगला जन्म  सूअर का मिलने वाला था और सारी जिंदगी तूने गंदगी में मुंह चलाना था ।लेकिन परमात्मा की तुझ पर दया थी इसलिए तुझे एक बच्चे का झूठा खाना खिलाकर तेरे कर्मों का भुगतान कर दिया। तो वह किस रूप में दया करते हैं यह हमको कुछ पता नहीं होता , जिस चीज को हम बुरा मानते हैं शायद उसमें हमारा भला होता है । गुरूजी हमसे ज्यादा बेहतर जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा । इसलिए हमें कभी भी गुरुजी द्वारा की गई दात को छोटा नहीं समझना चाहिए । पता नहीं उसमें कौन सा राज छुपा होता है  ?

🙏🌷*जय जय गुरुजी*🌷🙏
🙏🌷*ऊँ नमः शिवायः शिवजी सदा सहाय*🌷🙏
🙏🌷*ऊँ नमः शिवायः गुरुजी सदा सहाय*🌷🙏
🙏🌷*जय जय                                  गुरुजी*                                               
🙏🌷*शुक्रराना गुरुजी*🌷🙏

The power of Belief

Motivational Story On “The Power Of Belief

किसी शहर में एक कमल नाम का नवयुवक रहता था। अपने बचपन में वह बहुत होशियार था। बहुत से लोग उसकी तारीफ करते थे।

लेकिन उसके साथ समस्या यह थी कि उसे भीड़ से बहुत डर लगता था।

जब वह बड़ा हुआ तो उसका डर इतना बढ़ गया कि वह घर से बाहर निकलने से भी डरता था।

वह कहीं बाहर बहुत कम ही जाता था लेकिन उसे पढ़ने लिए अपने कॉलेज तो जाना ही होता था। कॉलेज जाते और आते समय भीड़ देखकर उसका मन परेशान हो जाता था।

इस कारण न तो उसका पढ़ाई में मन लगता था और न ही किसी और काम में मन लगता था।

वह सोचता था कि अपनी इस डर की समस्या के कारण वह अपनी जिंदगी में कभी सफल नहीं हो पाएगा। इस कारण उसका गुस्सा भी बढ़ गया था।

एक दिन उसके शहर में एक बहुत बड़े और प्रसिद्ध संत आए। वह संत सभी लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे जिससे बहुत से लोगों को लाभ हुआ था।

कमल ने सोचा कि शायद वह मेरी समस्या का भी कोई समाधान कर दें।

दूसरे ही दिन कमल संत से मिलने पहुंच गया और उसने अपनी पूरी समस्या उस संत को बता दी।

संत ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी समस्या का हल मेरे पास है लेकिन यदि तुम्हे मुझ पर विश्वास हो तो मैं वह समाधान तुम्हें बता सकता हूँ।”
कमल ने कहा, “आप पर विश्वास करके ही मैं यहाँ आया हूँ, कृपया समाधान बताएं।”

तभी संत ने एक बहुत छोटा सफेद पत्थर कमल को देते हुए कहा, “यह एक जादुई पत्थर है। इसकी खासियत यह है कि यह जिसके पास होता है उसे कभी भी डर नहीं लगता और यह हर समस्या में सहायता भी करता है।” 
कमल बहुत खुश हुआ और अपने घर लौट आया।

अगले दिन जब वह कॉलेज के लिए जाने लगा तो उसने उस सफेद पत्थर को अपने पास रख लिया।

घर से बाहर निकलते ही उसका सामना भीड़ से हुआ।

पहले तो उसे कुछ डर लगा लेकिन उस सफेद पत्थर का ध्यान आते ही उसका डर भाग गया।

उस दिन कमल को भीड़ से बिलकुल भी डर नहीं लगा।

वह बहुत खुश था। अब उसे लगने लगा था कि पत्थर का जादू काम कर रहा है।

भीड़ से अब डर न लगने के कारण वह अब आराम से कहीं भी बाहर जा सकता था। उसे अब गुस्सा भी नहीं आता था।

अब वह सफल होने के बारे में सोचने लगा था। अब उसे यह विश्वास हो गया था कि वह जीवन में कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है।

कमल का जीवन बदल चुका था।

कुछ ही समय बाद वह सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता चला गया और एक सफल इंसान के रूप में गिना जाने लगा।

अब कमल को उन संत की याद आयी तो उनसे मिलने पहुंच गया।

कमल ने संत को अपनी सफलता के बारे में बताया और उस सफेद पत्थर की जादुई शक्ति की तारीफ करने लगा।

तभी वह संत बोले, “वह सफेद पत्थर जो मैंने तुम्हें दिया था वह तो मुझे रास्ते में कहीं पड़ा मिला था। मुझे वह पत्थर अच्छा लगा तो मैंने उसे उठा कर अपने पास रख लिया।”

कुछ समय रुकने के बाद संत फिर बोले, “सच यह है कि यह कोई जादुई पत्थर नहीं है बल्कि एक साधारण पत्थर है।”
यह सुनकर कमल को बहुत आश्चर्य हुआ।

कमल बोला, “जब यह एक साधारण पत्थर है तो इसने मेरा डर कैसे दूर कर दिया?  और आज मैं जिस सफलता के शिखर पर हूँ तो वहां मैं कैसे पहुंचा?”

तब वह महान संत मुस्कुराते हुए बोले, “सच है कि इस पत्थर ने तुम्हें कोई लाभ नहीं पहुँचाया बल्कि तुम्हारी विश्वास की शक्ति ने तुम्हारे डर को भगाया और विश्वास की शक्ति ने ही तुम्हे सफल बनाया है।

तुम अपने डर पर विजय प्राप्त इसीलिए नहीं कर पा रहे थे क्योकि तुम्हें खुद पर विश्वास नहीं था। लेकिन जब मैंने तुम्हें यह सफेद पत्थर दिया तो इसकी वजह से तुम्हारे अंदर विश्वास पैदा हो गया।

तुम्हारे विश्वास के कारण ही डर भाग गया और डर के जाते ही तुम्हारा आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया।

जैसे-जैसे तुम सफल होते गए वैसे-वैसे तुम्हारा खुद के लिए विश्वास बढ़ता गया और इसी विश्वास की वजह से आज तुम एक सफल व्यक्ति बन पाए हो।”

इतना सुनते ही कमल उस महान संत के चरणों में गिर गया और उन्हें धन्यवाद देने लगा।
दोस्तों! इस कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति को स्वयं में विश्वास (Believe in yourself) होता है उसके सामने बड़ी से बड़ी समस्या ज्यादा देर नहीं टिक पाती।

 
ऐसे व्यक्ति के सामने आने वाली प्रत्येक समस्या उसके कदमों में आकर दम तोड़ देती है।

 कमल का डर (Fear) एक समस्या थी। वह उससे जितनी दूर भाग रहा था, उतना ही ज्यादा डर उसके पास आ रहा था और जब कमल ने अपनी विश्वास की शक्ति (Power of believing) से उस डर का सामना किया तो डर भाग खड़ा हुआ।

 
अगर आप सफल (Success) होना चाहते हैं तो आपको खुद पर विश्वास (Self confidence) करना होगा।

 
आपको अपने कार्यों पर विश्वास (Believe in your work) करना होगा।

 आपको अपने सफलता के लिए किये गए प्रयासों पर विश्वास (Believe in your efforts) करना होगा।

 और जब आपमें खुद के प्रति यह विश्वास आ जायेगा तो आप सफलता की ओर कदम बढ़ाते चले जायेंगे और एक दिन सफलता के शिखर (Top of success) पर पहुंच कर दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत (Source of inspiration) बन जायेंगे।

 

जो लोग स्वयं पर विश्वास (Trust in yourself) रखते हैं उन्हें किसी पत्थर की आवश्यकता नहीं होती।*
अतः स्वयं में विश्वास रखिए और स्वयं के कर्मों में विश्वास (Faith in your deeds) रखिये, तब सफलता तो खुद आपका पता पूछते हुए आपके पास आ जाएगॉ

truth is rare

Truth is bitter and people feel bad if they come to know about truth. Truth gives troubles and difficulties for everyone. People always believe in what is common among all. The honest and true people always suffer a lot and the dishonest and untrue people always get success in their work because they make people fool very easily. The sum and substance of my feeling is that the honest people do not get respect in the society while the dishonest person get feelings of people living around them. Dishonest earning and income make a person dishonest.

Marriage is a mutual understanding

Marriages are made in heaven. Marriages are integral part of society and without it the society cannot be run at any cost. Without marriages the relations are called illegal. In Indian society marriage is a very sacred process. Every society recognizes marriages to run the society. But but in India marriage is a mutual consent which never ends. There is no divorce in Indian marriages because many religious.

Ego ruins life

Those people who are Adamant will never bow before anyone due to Ego. They become stern and very rigid by nature and consider themselves superior to others in every way of life. They never accept their mistakes and faults and try to make allegations against for their own fault. I have seen many people have ruined their family and social life due to Ego. They become very tough by nature and prove themselves very innocent and clean persons. The person should have soft and considering others a valuable person can make them a good person in the eyes of others. While taking decisions they never consult with anyone. They do not become the favourable part of society ever. What should a person do if he wants to correct his mistake or want to eliminate his ego??
According to me the person should consider his decisions and try to remove his mistakes and faults by Consulting with the person who is his well wisher.