प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे जीवन मेंं सफलता मिले। मनचाहे लक्ष्य प्राप्त हो । बच्चे सफल कैसे हो । पति श्रेष्ट कैसे बने । रोग कैसे ठीक हो । योग मेंं सिद्वि कैसे प्राप्त करे । लोगो से स्नेह कैसे हो । लड़ाई झगड़े कैसे खत्म हो । काम धंधे मेंं बढ़ोतरी कैसे हो। आपसी क्लेश कैसे खत्म हो। प्राय प्रत्येक व्यक्ति यही प्रशन करता है । कोई भी काम करते है, करना चाहते हैं, चाहे वह भोजन बनाना हो, सकूल जाना हो, काम पर जाना हो, ज्ञान सुनना सुनाना हो, पहले अपने विचार, अपनी मनो भावना को चेक कपने विचारो को प्यार मेंं बदलो । सभी चीजो, सभी आदतों, सभी कार्यो, सभी व्यक्तियों, सभी साधनों के बारे सोचे, जिसे आप प्यार करते हैं या करते थेसब से उतम यह हैं कि भगवान के बिंदु रूप या इष्ट को देखते हुए भगवान के गुण सिमरन करो आप प्यार के सागर है।प्यार के सागर-अगर मन मेंं प्यार की लहर नहीं उठ रही है तो कोई प्यारा सा गीत या भजन आदि सुनो और सुनते रहो और भगवान को याद करते रहो । आप कोई काम भी कर सकते है परन्तु मधुर संगीत सुनते हुए कर-अगर आप ऐसा नहीं करना चाहते । तब एक एक कर के घर, बाग-बगीचे,मित्र,फूल, मौसम, रंग, स्थितिया, घटनाए सप्ताह, महीने, वर्ष मेंं जु़ी हुई मनचाही प्रिय घटनाए, प्रिय चीजे, प्रिय व्यक्ति/व्यक्तियों को याद करो और बीच मेंं भगवान को याद करते रहो, देखते रहो । हो सके तो वह चीजे,व्यक्ति या और कुछ बहुत प्रिय हैं, उनकी लिस्ट बना अच्छी भावनाओ और अच्छे विचारो को बढ़ाने का यह सहज तरीका हैं । इसे आप कहीं भी, कभी भी कर सकते है।आप स्वास्थ्य, धन, संबंध, स्वास्थ्, नौकरी और संबंधो के बारे जो महसूस करते हैं, आप के जीवन मेंं वही घट रहा हैं। तथा आगे बढ़ कर मिलने वाला-इस समय जब आप यह लेख पढ़ रहे हैं चैक करो मै क्या सोच रहा हूं। अगर नकारात्मक सोच रहे हैं तो इस का विपरीत अच्छा क्या हैं सिर्फ वह सोचो । यह संशय न आने दो कि पता नहों, होगा कि नहीं।आप को सिर्फ अच्छा अच्छा सोचना हैं । जो चाहते हैं वह सोचना हैं । जो इस समय विपरीत घट रहा हैं उस पर नहीं सोच-आप अपने स्वास्थ्य के बारे नौकरी के बारे,परिवार के बारे या अन्य महत्वपूर्ण विषयो के बारे क्या सोच रहे है।इस सोच पर ध्यान रखना सिर्फ और सिर्फ अपनी मनोदशा, अपनी मनोस्थिति पर ध्यान रखनाआप की भावना और आप के आस पास के संसार का आपस मेंं अटूट संबंध परमात्मा का दिव्य बल अपनी तरफ से कुछ नहीं कयह तो आप की भावनाओ पर प्रतिक्रिया करता एक का लाख गुना अच्छा फल देता ह-एक का लाख गुना बुरा फल भी देता हैं प्रत्येक संकल्प हमें बताता सोचते ही अगर बुरा महसूस होता है तो यह परमात्मा अपने दिव्य बल से इशारा देता है कि यह ठीक नहीं, इसे मत करो इसका फल बुरा-इसलिए हमारे जीवन मेंं जो विपरीत हो रहा है, उसे अच्छे विचारो मेंं बदलो ।
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