GURUJI VACHAN

गुरुजी के 105 वचन जो उन्होंने समय समय पर कहे । आज भी ये वचन हमारा मार्गदर्शन करते हैं ।
गुरु जी के वचन
1.गुरुजी हमेशा इस दैवीय गद्दी पर रहेगे | उन्होंने कहा मै था,मै हूँ और मै हमेशा रहूँगा | मेरा कोई वारिस नही है
2 मेरे लिए मेरा परिवार भी संगत ही है और किसी के पास कोई रूहानी शक्ति नही है |
3 मै अपने भक्तों से बहुत प्यार करता हूँ और उनका बुरा वक्त खत्म करता हूं |
4 जब आप अपने जूते मंदिर के बाहर उतारते हो तो अपनी बुद्धि भी बाहर ही छोड कर आया करो, वो मेरे सामने किसी काम की नही है |
5 मेरी उपस्थिति मे सेलफोन का प्रयोग मत करो वरना तुम्हारा आशीर्वाद उसे चला जायगा जिस से आप बात करोगे |
6 अगर आप अपनी ज़िन्दगी की लगाम मुझे सौप देते हो तो मै तुम्हे सीधा मोक्ष तक ले जाता हूँ ।
7 अगर किसी घर से सिर्फ एक सदस्य भी मेरे पास आ जाता है तो पूरे परिवार को आशीर्वाद मिल जाता है |
8 सिर्फ किताब से पाठ करना ही पाठ नही होता, अपना काम करना,नित नियम करना और अपने परिवार का ध्यान करना भी पाठ करना होता है |
9 सबसे बडा पाठ तब होता है जब पति पत्नी की और पत्नी पति की तथा दोनो मिलकर बच्चों की अच्छे से देखभाल करते है और घर मे शांति बनाए रखते है |
10 गुरुजी ने मुझे कहा और पीछे मुडकर किसी से कहा "चल भाई लता मंगेशकर दा गाना लगा" हम सुनने लगे. फिर गुरुजी ने कहा "किन्ना सोना गांदी है ना आशा भोसले ?" ऐसे मे कोई क्या कहता, हम चुप रहे | गुरुजी ने अपना प्रश्न फिर दोहराया मैने कहा जी गुरुजी (ये सोच कर की गुरुजी कहते है गुरुआ नु कोंटराडिक्ट नही करदे
11 "रब कदे वी नजर नही आन्दा”  गुरुजी ने कहा “मैनु त्वाडे विच नजर आन्दा है " तुम कभी भगवान को नही देख पाते, मैने कहा मुझे आप मे नजर आते है, और वो मुस्कुरा दिए |
12 "रब नु प्यार करो,ओदे कोलो डरो ना" गुरुजी |
भगवान ने ही तो संसार बनाया है, सोलर सिस्टम बनाया है और सब कुछ उस परम पिता परमेश्वर ने ही तो बनाया है इसीलिए भगवान से प्यार करो, भगवान से डरो मत |
13 महापुरुषों के ओहदे होते है और उनमे सबसे उपर सतगुरु होते है और वो मै हूँ | सिर्फ एक सतगुरु ही सबके मर्ज़ अपने उपर ले सकते है और उन्हें दुखो से मुक्त कर सकते है | हर कोई लोगो के मर्ज़ (बीमारियाँ) अपने उपर नही ले सकता है, उन्हें हुकम नही है, वो सिर्फ लोगो का मार्गदर्शन कर सकते है | ऐसा मनुष्य किस काम का अगर वो भगवान का शुकराना ना कर सके |
14 कभी किसी की देखा देखी अपनी चादर के बाहर पैर नही पसारने चाहिए |
15 पंडितों पर अन्धविश्वास नही करना चाहिए | अगर कोई ऐसा मिल गया जिसे पूरा ज्ञान नही है तो आपका नुकसान हो सकता है | मैने कहा की हम पंडितों के नही जाते तो गुरुजी ने कहा की मै आम बात कर रहा हूँ |
16 अपनी खुशहाली के लिए birth stone कभी मत पहनो,कोई पत्थर उलटा असर कर रहा हो तब क्या ? मैने गुरुजी से कहा कि हम चारो (मै, मेरे पति तथा दोनो बच्चे) ने कभी birth stone नही पहने | गुरुजी ने कहा की मै आम बात कर रहा हूँ |
17 गणेश जी का स्थान मंदिर में है ना की लोगों के घरों के फर्शों पर यां सजावटी समान की तरह और कई बार पेपर वेट की तरह|
18 आप सब करोड़ों रुपये खर्चा कर के अपने घरों को सजाने के लिए जो पेंटिंग्स ले आते हो, तुम्हे क्या पता अगर वो अपने साथ उस पेंटर की नेगेटिविटी भी तुम्हे दे रही हो | मैंने गुरुजी से कहा कि गुरुजी मेरी इतनी समर्थ नही है की मैं करोड़ों रुपये की पेंटिंग्स खरीद सकूँ तो उन्होने कहा "ओ हो मैं आम बात कर रहा हूँ |
19 अगर कोई दूर है और मेरे पास या बड़े मंदिर नही पहुँच सकता, वो मेरी फोटो से बात करे, मैं सबकी बात सुनता हूँ |
20. गुरुजी के वचनों पर आपस में तर्क-वितर्क करना माना है, उससे हम अपने भगवान प्राप्ति, अपने लक्ष्य से चूक जायेंगे |
21. गुरु जी ने इंग्लिश में कहा "only dead fish swim with the tide" एक मरे ज़मीर वाला इंसान ही दुनिया के ग़लत रास्ते पर चलता है | हमें ग़लत हालात से समझौता ना करके,सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए |
"self praise is no praise". अपनी बढाई आप नही करनी |
"health is your real wealth".  तुम्हारी असली दौलत सेहत है |
"keep your ego in control". अपने अहंकार को वश में करके रखो |
"life is not easy" I was told by Guruji, but prayer can sort out anything. "Those who pray are blessed". ज़िन्दगी आसान नही है | दुआ हर मसले का हल है |
"Too much of everything is bad" किसी भी चीज़ को बहुत ज़्यादा करना, अच्छा नही |
22. "डाक्टर अपना कम करन्गे मैं अपना". गुरुजी
जब कभी कोई परेशानी हो तो डाक्टर को अपना काम करने दो मैं अपना काम करूँगा |
23.दवाई तभी काम करेगी जब मैं उसे आशीर्वाद दूंगा |
24.पानी बहुत पिया करो, अगर डाक्टर ये सब बता दें तो उसके पास कौन जाएगा, पानी हर बीमारी की दवा है और सब रोग ठीक करता है |
25 पाचक-ग्रंथि एक ऐसा अंग है जिसकी प्रकिया भगवान ने अपने हाथ में रखी है |
26. बहुत अच्छे दर्शन हो रहे हैं अभी, बाद में मैं तारों जैसा नज़र आऊंगा, मंदिर में आने वाली संगत इतनी बढेगी की जितनी मर्ज़ी जगह बढा लो कम ही पड़ेगी |
एक समय वो भी था जब गुरुजी सबसे नही मिलते थे, जिससे वो मिलना चाहते उसे वो खुद बुला लेते थे  |
27.आने वाला समय बहुत खराब आ रहा है, जो प्रार्थना में विश्वास करेगा और पूरे मन से प्रार्थना करेगा वो ही बच पाएगा |
28. जिसे हम प्यार से गुरुजी का आश्रम (बड़े मंदिर) कहते हैं वहां आने से बारह तीर्थ स्थानों का पुण्य एक साथ मिलता है तथा मेरा आशीर्वाद भी मिलता है ऐसा गुरुजी का कहना था |
29.बड़े मंदिर में कभी भी सोना नही चाहिए, वरना गुरुजी का आशीर्वाद अधूरा रह जाता है |
30. गुरु को कभी चिट्ठी नही लिखनी चाहिए, हमेशा खुश रहा करो।जो होगा अच्छा ही होगा |
31 मैं हड्डी और माँस का इंसान बना सामने बैठा हूँ, लोगों ने इंसान ही समझ लिया |
32.  लोगों को बाद में समझ आएगी की मैं क्या हूँ
|33 मैंने बहुत कठिन तप किया है पत्तों पर निर्वाह (गुज़ारा) किया है, तुम्हे पता है कितना मुश्किल होता  है ? गुरु का स्थान इतना बड़ा होता है की अगर वो चाहे तो एक ही समय में वो कई जगह पर एक साथ उपस्थित हो सकते हैं |
34 मैं तुम्हे इंसान की तरह नज़र आता हूँ, पर मैं जहाँ खड़ा हूँ वहा से तुम सब मुझे छोटी छोटी चींटी जैसे नज़र आते हो |
35.मैं इस ससार में तुम्हे माफ़ करने ही तो आया हूँ |
36. मेरे पास इतनी शक्ति है की मैं सूरज को भी अपने अनुसार चला सकता हूँ |
37. सूरज अब बुढ्ढा हो चुका है |
38. धरती पर पानी बढ जायगा |
39. लोग पेड़ काटते हैं, अच्छी बात नही है |
40 मेरे पास आने वाला रास्ता आसान नही है
41 मैं नींबू की तरह निचोड़ लेता हूँ, तम्हारी हर तरह से परीक्षा लेता हूँ, अगर पूर्ण आत्म समर्पण नही करते तो फिर क्या फायदा ?
42.अगर कोई मेरी तरफ एक कदम भी बढता है तो मैं उसकी तरफ सौ कदम बढता हूँ |
43 लंगर और चाय प्रसाद तो तुम्हारी दवाई है और सब रोगों को ठीक करते हैं । इन्हें प्रसाद की तरह देखो,ना की इन्हे बनाने वाले पदार्थों की तरह | लंगर और चाय प्रसाद तो तुम व्रत में भी खा सकते हो | जब किसी परिवार का कोई एक सदस्य भी लंगर और चाय प्रसाद ख़ाता है तो, घर के बाकी सदस्य चाहे घर पर हों या अस्पताल में, सब को मेरा आशीर्वाद मिलता है |
44 लंगर और चाय प्रसाद में मेरा आशीर्वाद होता है उसे यही (बड़े मंदिर) पूरा खाना चाहिए, कछ बचना नही चाहिए |  अगर उसे यहाँ खाओ तो दवाई है। घर ले जाओ तो मिठाई है।
45 लंगर प्रसाद को दोबारा गरम नही करना चाहिए |
46 मेरे आशीर्वाद देने के बड़े तरीके हैं, उनमे से एक सत्संग करना भी है, जो बोलता है उसका भी भला होता है और जो उस सत्संग को सुनता है उसका भी भला होता है | जब आप अपने गुरु के द्वारा किये कल्याण को सब को सुनाते हो तो आप भी आशीर्वाद पाते हो और सुनने वाला भी आशीर्वाद पाता है | कभी कभी तो गुरुजी हमें दूर रख कर भी आशीर्वाद देते हैं |
47 गुरुजी कब और क्या कल्याण करते हैं ज़रूरी नही है कि हमें पता हो |
48. ऐसा गुरु मिलेगा कहीं, मैं प्रवचन में विश्वास नही करता हूँ, सब कल्याण वास्तव में कर के दिखाता हूँ |
49. सबसे अच्छे  रंग जो सकारात्मकता (पाजिटिविटी) और समृद्धि पैदा करते हैं वो हैं लाल, क्रीम और काला, और इनके बाद आते हैं केसरिया, संतरी, गलाबी, पीला, हरा, जामनी और सफ़ेद | गूढ़ नीला रंग गुरुओ का रग नही होता, इसे इस्तेमाल नही करना  चाहिए, ये पहनने वाले को नकारात्मकता और भ्रांतियां पैदा करता है | फिरोजी,आसमानी और नेवी ब्लू रंग अच्छे होते हैं, ये इस्तेमाल कर सकते हैं | मैंने पूछा क्या ये आपने मेरी परिवार के लिए कहा है तो गुरुजी का जवाब था,"जो सुन ले उसका भला" |
50 आप को अपने आँख, नाक, कान सब चेहरे पर आगे मिले हैं पीछे नही, इस बात का भगवान को बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहिए |
51 जानवर कितने काम करते हैं, मरने के बाद भी हम उनकी खाल से चमड़े के बेग, जुते, बेल्ट आदि बनाते हैं यहाँ तक की मरने के बाद उसे खा भी लेते हैं, पर इंसान मरने के बाद किसी काम का नही है इसीलिए इंसान अपने जीते जी सिर्फ पाठ करके अपना जन्म संवार सकता है | 
52 गुरुजी के अनुसार गुरुजी के वचन याद करना भी संगत करना होता है | अपने व्यक्तिगत अनुभव और आशीर्वाद जो आप को गुरुजी से मिले, उनके बारे में सब को बताना भी एक तरह से गुरुजी को शुकराना करना ही होता है | अक्सर गुरुजी कहते थे कि "मैंने जो तुम्हारे कल्याण किये हैं सब को बताओ" ।
53. अगर मैंने सिर्फ एक इंसान को भी भगवान तक पहुँचने के रास्ते पर डाला, तो मेरा काम हो गया समझो
54 अगर आपके काम अच्छे हैं तो दुनिया के सब सुख गुरुजी आपकी झोली में डाल देंगे |
55 कभी भी अपना बुरा नही मांगनी चाहिए, गुरुजी के साथ क्रय-विक्रय नही चलता जैसे आप मुझे ये दोगे तो मैं इतने का प्रसाद चढाऊंगा, हम अपने परम पिता परमेश्वर को कछ नही दे सकते, अगर हम सेवा भी करते हैं तो वो भी अपनी मदद ही करते हैं ना की गुरुजी की |
56. एक बार एक छोटे पाठी (गरुद्वारे में ग्रन्थ साहब का पाठ करने वाले) ने गुरुजी से कहा की उसकी ज़िन्दगी में कछ भी ठीक नही है, पैसे नही हैं | गुरुजी ने जवाब दिया" जद लोका दे पाठ पढदा हैं किन्ने सफे पलट जानदा हैं" | (जब लोगों के लिए पाठ पढता है तो कितने पन्ने बिना पढे पलटता है) पाठी लोगों के लिए पाठ पढता था तो बीच में कई  पन्ने बिना पढे ही पलट जाता  था | फिर गुरुजी ने हमारी तरफ देखा और कहा "आपे पाठ किता करो" यानी पाठ अपने आप करना चाहिए किसी दूसरे के उपर निर्भर नही रहना चाहिए |
57 लोग बेटा तो मांग लेते हैं, पर अगर वो मानसिक रूप से विक्षिप्त पैदा हो गया तो ?
58 अगर आपको किसी ग़रीब या काम करने वालों को कुछ खाना देना है तो उत्सव शुरू होने से पहले उनके लिए निकाल लें ना कि बाद का बचा जूठा उन्हें दें |
59 अगर कोई भिखारी आपसे कुछ मांगता है पर आप कुछ नही दे पा रहे तो, हाथ जोड़ लें, ना जाने किस भेस में कौन आप के सामने खड़ा हो |
60 अपने घर में कोई भी मूर्तियाँ ना रखा करो जैसे घोड़ा, पक्षी, इंसान | इन्हे पानी में बहा दो यां पानी ना मिले तो ऐसे ही फैंक दो पर घर में मत रखो | घर को सजाना है तो फूलों से सजाओ |
61 गुरुजी एक बार एक दर्जी के पास अपने लिए पेंट सिलवाने गये तो दर्जी ने जेबों के लिए पूछा | गुरुजी ने हँस कर कहा "सानु बोज़या दी की लोढ़" यानी मुझे जेबों की क्या ज़रूरत है | गुरुजी पहले पेंट पहना करते थे पर बाद में उन्होने चोला पहनना शुरू कर दियाकिसी ने पूछा तो हँस कर कहा "ओय कोई गुरु मन्दा ही नही सी" यानी पेंट पहनने पर कोई गुरु मानता ही नही था |
62 कभी भी किसी की निंदा मत करो ऐसा करने से आपका आशीर्वाद उसे हस्तांतरित हो जाता है और उसकी नकारात्मक कमाई आपकी झोली में आ जाती है |
63 कभी दूसरों के दुःख मत सुनो,जब भी कोई आप के सामने अपनी व्यथा कहने की कोशिश करे उनसे कहो, गुरुजी के पास जाओ,वही सब ठीक करेंगे | सुनो मत अन्यथा वे अपनी नकारात्मकता आप को दे कर आपका आशीर्वाद ले जायेंगे |
64  दूसरे आपके बारे में क्या कहते हैं, इस बात से प्रभावित होने के स्थान पर अपने नियंत्रण मे रहना सीखो |
65 प्रार्थना और पाठ हमेशा इतनी शांति से करना चाहिए की आप के आस-पास बैठे किसी को पता भी नही चले की आप पाठ कर रहे हो | इसी तरह दान भी गुप्त होना चाहिए की एक हाथ को पता ना चले दूसरे ने कुछ दिया है |
66 घर में नागफनी तथा बोनसाई जैसे ना बढने वाले पौधे नहीं रखने चाहिए |
67 अगर सेवा के पीछे कोई अप्रत्यक्ष स्वार्थ छुपा है, तो वो निस्वार्थ सेवा नही है, असल सेवा बिना किसी मांग तथा स्वार्थ के होती है |
68. अगर अपने दैनिक कामों को करने से किसी का भला हो जाता है तो क्या फर्क पड़ता है ?
69 जो वास्तविक गुरु होते हैं वह हमेशा अपनी पहचान गुप्त रखते हैं, और जो आगे बढ बढ कर अपने बारे में खुद ही बताते हैं वह सच्चे गुरु नही होते |
70. "एक बार हम गुरुजी के साथ रात के 2 बजे तक बैठे थे और गुरदास मान जी का गाना "रातों को उठ उठ कर" चल रहा था और तब हम पता लगा की गुरुजी हमारे लिए कितनी प्रार्थना, कितना तप करते हैं ताकि हम रातों को शांति से सो सकें | गुरुजी कभी नही सोते थे, वे निरंतर पाठ करते रहते थे |
71 गुरुजी के शरीर से निकलने वाली खुशबु, उनकी इच्छा के अनुसार निकलती थी | गुरुजी के अनुसार ये भी एक तरह का प्रशाद था जिसे पाने वाला उसे कही भी पा सकता था मंदिर में भी और घर बैठे भी |
72. गुरुजी ने एक बार कहा "की खाओगे? टमाटर विच वी स्प्रे है" गुरुजी
खाने पीने की वस्तओ के दूषित तथा संदूषण की वजह से परेशान रहते थे ।
73. गुरुजी = "गुर बानी दे टप्पे सुन्दे हो?" (गरु वाणी के शब्द सुनते हो?) मैने जवाब दिया "हांजी गुरुजी कदी कदी" (हाँ गुरुजी कभी कभी) गुरुजी = "समझ आन्दे ने ?" (समझ आते हैं?)  मैने कहा "जी थोड़े थोड़े" (जी थोड़े थोड़े) गुरुजी = "सुन्या करो, चन्गे होंदे ने" (सुना करो अच्छे होते हैं)
74 जब भी मैं आप से  नृत्य करवाता हूँ तो आपके शरीर का पूरा खांचा (X_Ray)  मेरे सामने खीच जाता है और जहाँ भी कोई कमी या खराबी होती है मैं ठीक करता हूँ |
75. गुरुजी हमेशा संगत से "शिव पुराण" पढने के लिए कहते थे |
76 ज्यादा पैसा अच्छा नही होता, भगवान से हमेशा प्रार्थना करनी चाहिए की इतना दीजिये जितना मेरे परिवार के लिए पूरा हो |
77 गुरु के सामने प्रार्थना कर के अपने कर्मों की माफी मांग लेनी चाहिए, उन कर्मों की भी जो आपको नही पता की आपने कुछ ग़लत कर दिए हैं |
78 आपका अपने गुरु के लिए प्यार ऐसा होना चाहिए की सोते, जागते और अपने दैनिक कामों को करते हुए भी आप अपने गुरु को ही याद करते हों |
79. एक दिन मैंने गुरुजी से पूछा "मोक्ष मिलदा है"(क्या कभी मोक्ष मिलता है) गुरुजी ने जवाब दिया "जे चंगे कम करो ता" (हाँ मिलता है अगर अच्छे और मानवता के काम करो तो)
80. "मैं एक रसिक बैरागी हूँ जो तुम्हे पारिवारिक उत्तरदायित्व निर्वाह के साथ साथ प्रार्थना के मार्ग पर चलना सिखलाता है"
81 मैं सृष्टि के कामों में कभी हस्तक्षेप नही करता, लेकिन अगर कभी गुरु अपने किसी भक्त पर मेहरबान हो जाए तो सृष्टि का लिखा मिटा कर नया लेख भी लिख सकते हैं |
82 गुरु जो बात कह देते हैं वो पत्थर की लकीर की तरह है, जो कहा है वो होना ही है |
83 दुःख भरे गाने, सीरियल और फिल्म नही सुनने और देखनी चाहिए |
84 गुरुजी किसी इंसान का मंगलिक होना बेकार के वहम हैं |
85. "नॉन वेज नही खाओगे ते चन्गे रहोगे" - गुरुजी
शाकाहारी रहोगे तो सुखी रहोगे |
86 घर का बना खाना ही सबसे अच्छा होता है, बाहर ज्यादा नहीं खाना चाहिए |
87 आत्महत्या करना महापाप होता है |
88. जब गुरुजी से किसी अन्य पवित्र धार्मिक स्थान के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा "अजमेर शरीफ सच्चा और पवित्र धार्मिक स्थल है" |
89. एक बार गुरुजी से किसी स्त्री गुरु के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा "औरत कदी गुरु नही हो सकदी" (औरत कभी भी गुरु नही बन सकती)
90 जब भी आप कोई हीरे की वस्तु पहनने का मन बनाते हो तो अच्छी गुणवत्ता वाला हीरा ही पहनना चाहिए, क्योंकि उसका पहनने वाले पर असर होता है |
91 मैं किसी राजनैतिक पार्टी से सम्बंधित नही हूँ |
92 -  गुरुजी का आदेश था की चढाए हए फूल नही लेने चाहिए, और अगर मिल जाए तो घर जाते हए नदी में बहा देने चाहिए |
93 सलवार कमीज़ सबसे अच्छी पोशाक होती है, साड़ी से भी अच्छी |
94 सब के पास अपना पूरा घर होता है, पर रहने के लिए सिर्फ एक कमरे की ही आवश्यकता होती है |
95. ताम्बे के लोटे के बारे में गुरुजी ने कहा ये अपनी कमाई से खरीदना चाहिए ।
96 सिर्फ मेरी फोटो से ताम्बे का लोटा छुआ देने से वो अभिमंत्रित हो जाता है | ताम्बे के लोटे को कभी साबुन इत्यादि से नही साफ करना चाहिए | रोज़ रात को नींबू या राख से धो कर पानी से भर कर रख देना चाहिए और सुबह सबसे पहले वही पानी पीना चाहिए |
97 बच्चों पर पढाई का बहत ज़्यादा भार नही डालना चाहिए, उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार ही पढने देना चाहिए | 
98 ये कलयुग है, इस युग में भगवान बहत शीघ्र और आसानी से मिल जाते हैं | उन्हे पाने के लिए कठिन तप करने यां पेड़ से उल्टे लटकने की ज़रूरत नही है | बस प्रार्थना करो और भगवान का शुकराना करो |
99. गुरुजी को "फेंग शुई" पर कभी विशवास नही था |
100. गुरुजी के शरीर से एक खुशबु निकलती थी | उन्होने बताया की ये बरसों के तप से होता है।अपने अन्दर का एक ऐसा स्वर्ग जिसे "सचखण्ड" भी कहा जाता है |
101. गुरुजी की नज़र में कोई नई संगत या पुरानी संगत जैसा कुछ नही था, सब एक बराबर थे | उनका कहना था की मेरे साथ कितने वर्ष का साथ है कभी मत गिनो क्योंकि सिर्फ उन्हे पता है की हम उनके साथ कितने जन्मों से जुड़े हुए हैं | गुरुजी भूत, वर्तमान और भविष्य, सब देख सकते थे और उनसे कछ भी नही छुपा हआ था | गुरुजी किसी को भी ये बता देते थे की कब उसने क्या खाया सिर्फ ये बताने के लिए की वो सब जानते हैं |
102. "मेरे नाल डायरेक्ट कनेक्शन जोड़ो" - गुरुजी
सीधा मेरे साथ संपर्क रखो ।
103. मैं पहले उन्हें आशीर्वाद देता हूँ जो तुम्हे मेरे पास लाता है, और उसके बाद की यात्रा तुम्हारी अपनी है |
104. अगर किसी अच्छी चीज़ या काम के साथ कुछ बुरा जुड़ा होता है तो उसे भी अच्छे की तरह ही स्वीकार करो क्योंकि संपूर्ण दोषरहित कुछ नही होता, जैसे गुलाब के साथ कांटे भी होते हैं |
105. गुरु अपना आशीर्वाद देने के बाद कभी वापिस नही लेते | गुरु के काम करने के तरीके आश्चर्यजनक होते हैं | हमें उनके आशीर्वाद को भौतिक वस्तुओं और नफे नुक्सान से नही मापना चाहिए ।

गुरुजी की सीख 1


राधे राधे ॥ आज का भगवद चिन्तन ॥
     
सब वस्तुओं की तुलना कर लेना मगर अपने भाग्य की कभी भी किसी से तुलना मत करना। अधिकांशतया लोगों द्वारा अपने भाग्य की तुलना दूसरों से कर व्यर्थ का तनाव मोल लिया जाता है व उस परमात्मा को ही सुझाव दिया जाता है कि उसे ऐसा नहीं, ऐसा करना चाहिए था।
 
परमात्मा से शिकायत मत किया करो। हम अभी इतने समझदार नहीं हुए कि उसके इरादे समझ सकें। अगर उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत करना क्योंकि शायद वह पहले से कुछ बेहतर उसमे डालना चाहता हो।
 
अगर आपके पास समय हो तो उसे दूसरों के भाग्य को सराहने में न लगाकर स्वयं के भाग्य को सुधारने में लगाओ। परमात्मा भाग्य का चित्र अवश्य बनाता है मगर उसमें कर्म रुपी रंग तो खुद ही भरा जाता है।

!!!...ख़ुद मझधार में होकर भी
जो औरों का साहिल होता है
ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं
जो निभाने के क़ाबिल होता है....!!!
         


परमात्मा हर पल हमारे हृदय में है हमारे सब से नजदीक है और हर पल हमारा भला चाहते है। उन की कृपा पर भरोसा कर कर सर्वतोभाव से उन्ही पर छोड़ देना चाहिए।

संसार स्वप्नवत है मृगतृष्णा के जल के समान समझना ही वैराग्य है । वैराग्य के बिना संसार से मन नही हटता इस लिए परमात्मा की तरफ जाना कठिन होता है। अतएव संसार की स्थिति पर विचार कर के अपने असली स्वरुप को समझना और वैराग्य को बढ़ाना चाहिए।

भगवन एकमात्र मोक्ष के दाता है उन का चिंतन करने से सभी बन्धन कट जाते है तुम कितने भी पापी दुराचारी हो भगवन फिर भी तुम्हे अपने साथ मिलाना चाहते अतः एक बार सच्ची निर्भयता के साथ निश्चय कर के उनकी शरण ग्रहण करो तुम्हारे सब बंधन क्षणों में कट जायेगे और तुम उनके दुर्लभ मोक्ष स्वरूप को पा लोगे।

जीवन की कोई ऐसी परिस्थिति नहीं जिसे अवसर में ना बदला जा सके। हर परिस्थिति का कुछ ना सन्देश होता है। अगर हमारे  पास किसी दिन कुछ खाने को ना हो तो भी श्री सुदामा जी की तरह प्रभु को धन्यवाद दें कि  " हे प्रभु ! आज आपकी कृपा से यह एकादशी जैसा पुण्य मुझे प्राप्त हो रहा है।"

अगर कभी भारी संकट भी आ जाए तो माँ कुंती की तरह भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें कि "हे प्रभु ! यदि  मेरे जीवन में यह दुःख ना आता तो मै आपको कैसे स्मरण करता ?"

जीवन की कोई ऐसी परिस्थिति नहीं जिसे अवसर में ना बदला जा सके। हर परिस्थिति का कुछ ना सन्देश होता है। अगर हमारे  पास किसी दिन कुछ खाने को ना हो तो भी श्री सुदामा जी की तरह प्रभु को धन्यवाद दें कि  " हे प्रभु ! आज आपकी कृपा से यह एकादशी जैसा पुण्य मुझे प्राप्त हो रहा है।"

अगर कभी भारी संकट भी आ जाए तो माँ कुंती की तरह भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें कि "हे प्रभु ! यदि  मेरे जीवन में यह दुःख ना आता तो मै आपको कैसे स्मरण करता ?"


बांके बिहारी की महिमा

*💥वृन्दावन के बांकेबिहारी💥*

*बीकू नाम का लड़का रेलगाड़ी में साफ सफाई करके उससे जो पैसे मिलते उससे अपने घर का गुजारा करता था!*
 *उसके घर में एक बूढ़ी मां एक छोटी बहन और बीमार पिता थे!*
 *1 दिन रेल गाड़ी की सीट के नीचे से सफाई करते करते उसको एक पर्स मिला पर्स को पकड़ते ही उसके हाथ कांपने लगे उसको लगा कि इसमें बहुत सारे पैसे होंगे उसने जल्दी से परस उठाया और अपनी निकर की जेब में डाल लिया वह इस इंतजार में था कि कब गाड़ी रुके और कब मैं इस पर्स को खोल कर देखूं कि इस में कितने पैसे हैं और उन पैसों से में अपने घर के लिए कुछ राशन बीमार पिता के लिए दवाई लेकर जाऊं।*

 *स्टेशन पर गाड़ी रुकते ही वह जल्दी से गाड़ी से उतरा और कहीं एकांत में जाकर जल्दी-जल्दी उस पर उस को खोल कर देखने लगा पर्स को देखते ही उसके होश उड़ गए क्योंकि पर्स बिल्कुल खाली था उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया!*

 *पर्स की पिछली जेब में अचानक उसको किसी भगवान की तस्वीर नजर आई तस्वीर को देखते ही जैसे उसके शरीर में हलचल सी होने लगी और उसकी आंखों से दो मोटे मोटे आंसू निकल कर उस तस्वीर के चरणों में गिर पड़े!*

 *यह आंसु पर्स में कुछ ना मिलने के कारण थे या उस तस्वीर में मिले भगवान को देखकर थे! बहुत हिम्मत कर के वो वहां से उठा और थके हुए कदमों से चलने को तैयार हुआ चलते चलते वह सोचने लगा कि आज तो घर में खाने को कुछ नहीं है मां भी भूखी है बहन की पेट में भी अन्न का एक दाना नहीं गया बीमार पिता को भी दवाई खाने से पहले कुछ खाना था यही सोचते सोचते गली की नुक्कड़ पर किसी की शादी हो रही थी, शादी में बचा हुआ खाना वहां का सेठ लोगों को बांट रहा था तो भी को भी लाइन में लग गया तो उसको भी 2-3लिफाफे भर कर खाने के लिए मिले!*

 *उसकी तो खुशी का जैसे ठिकाना ही नहीं था घर जाते ही उसने यह खाना अपनी मां को दिया और कहा कि मां देखो आज मैं कितना खाना लाया हूं मां कहती है बेटा ला तेरी बहन भुख के कारण सुबह से रो रही है और मैंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया और तेरे बीमार पिता को भी कुछ चाहिए खाने के लिए !*

 *भीकू हैरान था कि जो सेठ उसको देख कर नाक मुंह सिकोड़ता है आज उसने मुझे खाने को क्यों दे दिया तभी उसने जेब में से पर्स निकाल कर और इस तस्वीर को देखा और उसका धन्यवाद किया कि शायद आज आपके कारण ही मुझे खाना मिला है ।*
*मां ने कहा कि यह खाना तो कल पूरा दिन चल जाएगा अगले दिन भी को फिर काम के लिए निकला स्टेशन पर पहुंचते ही वह गाड़ी में चढ़ने लगा अभी एक भी बीमार और बूढ़ी औरत उसको कहने लगी कि उसके लिए टिकट ले आओ मेरे पैर में चोट लगी है बीकू बोला हां हां मां जी मैं ला दूंगा!*
 *उसने उसको 500 का नोट दिया और भी झट से टिकट लेने के लिए चला गया तभी गाड़ी की सीटी बज गई और गाड़ी चलने के लिए तैयार थी तो बीकू भागा भागा!*

 *रेल गाड़ी की खिड़की से से ही उस बूढ़ी औरत को टिकट पकड़ा आता है लेकिन बाकी पैसे उसके हाथ में ही रह जाते हैं तो बूढ़ी औरत उसको खिड़की से इशारा करती है बाकी तू रख ले बाकी ₹275 बचे थे बीकू हैरानी से हाथ में पकड़ के पैसों को देखता रहा! तब तक गाड़ी जा चुकी थी वह गाड़ी में ना चढ़कर घर की तरफ चल पड़ा और रास्ते में उसने एक हफ्ते का उन पैसों से राशन ले लिया और मां को देखकर बोला देखो मां आज तो खूब कमाई हुई यह एक हफ्ते का पूरा राशन है मां यह देखकर बहुत खुश हुई तभी उसने जेब में से फिर वही भगवान को निकाल कर देखा और कहा कि यह सब चमत्कार आपके कारण ही हो रहा है !*

*मैं नहीं जानता कि आप कौन हो तभी उसने जे में से तस्वीर को निकाल कर अपनी मां को दिखाया और कहा की मां यह कौन से भगवान है?*

 *मां ने उसकी तरफ नहीं देखा क्योंकि वह तो इतना राशन देखकर बहुत खुश हो रही थी बीकू ने देखा कि मा नहीं देख रही तो उसने पर्स अपनी जेब में ही रख लिया फिर एक दिन जब वो रेल गाड़ी में सवार होकर जा रहा था और सफाई की सीटों के नीचे सफाई कर रहा था तभी आठ 10 लोग वही तस्वीर वही तस्वीर को लेकर जोर जोर से हरे कृष्णा का जाप करें हैं!*

 *बीकू उस तस्वीर को देखकर हैरान हो गया और सीट पर बैठी एक बूढ़ी औरत को हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता से बोला कि माताजी यह कौन है और आप यह क्या भजन कर रहे हो?*
 *मुझे भी बताओ तो उसकी तो वह औरत कहती कि यह बांके बिहारी जी है! यह वृंदावन में रहते हैं, जो भी इन की शरण में जाता है बांके बिहारी उसकी सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं!*

 *यह वृंदावन के मालिक ही समझ लो बीकू जेब में से उस तस्वीर को निकालकर उस माताजी को दिखाता है कि यह बांके बिहारी जी हैं तो वह कहती हां हां बेटा यह बांके बिहारी जी हैं !यह वृंदावन में रहते हैं तो बीकू की आंखों में फ़िर आंसू आ गए वह कहता कि मैंने भी वृंदावन जाना है, की क्या मुझे लेकर जाओगे,तो माता जी कहते हैं यह गाड़ी वृंदावन ही जा रही है चलो तू मेरे साथ ही चलो बीकू को आप पीछे अपनी मां और बहन की खाने की कोई चिंता नहीं थी,क्योंकि बिहारी जी ने तब तक लिए तो उनका इंतजाम कर ही दिया था बीकू माताजी और 8-10 लोगों के साथ चल पड़ा वृंदावन पहुंचते ही वह लोग अपने रस्ते चल पड़े बीकू को कुछ भी नहीं पता था कि वह कहां जाए बिहारी जी कहां रहते हैं तो वह लोगों को बिहारी जी की तस्वीर को दिखाता हुआ कहता है कि यह बिहारी जी कहां रहते हैं,तो वृंदावन के लोग उस पर हंसते हुए कहते हैं कि यह वृंदावन उनका ही है!*

 *यह हर जगह रहते हैं फिर वह कहता कि उनका घर कहां है तब एक सज्जन पुरुष बीकू को मिला और कहने लगा कि चलो मैं तुझे बिहारी जी के पास लेकर जाता हूं तब उसको बिहारी जी के मंदिर लेकर आ मंदिर में बहुत भीड़ थी बीकू को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था वह दूर से ही जी को देखकर निहाल हो गया।*

 *उसकी आंखों में झर झर आंसू बहने लगे आंसू के कारण उसकी उसकी आंखों में बिहारी जी की छवि धुंधली धुंधली आने लगी तभी मंदिर की लाइट चली गई आंखों में धुंधलापन के कारण और लाइट लाइट ना होने के कारण भी को को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था तभी उसको अपने पास एक तेज रोशनी नजर आई और उसको लगा कि उसका हाथ कोई खींच रहा है।*
 *जब उसने ध्यान से देखा एक छोटा सा बालक उसको खींच कर कह रहा है- बीकू तूम आओ मेरे साथ।*

 *वह बालक उसको एक कोने में ले जाकर कहता है कि अब आए हो मैं तो कब से तुम्हारी राह देख रहा हूं! बीकू कहता तुम कौन हो? घबराहट के कारण भी कुछ से बोला भी नहीं जा रहा था, मैं वही हूं जिसको तू अपनी जेब में लेकर घूम रहे हो!*

 *तेरा मेरा नाता तो उसी दिन से बन गया था जब तूने मेरी तस्वीर को देखकर अपने आसुओ से मेरे पैरोको धोया था,तबसे तू मेरी शरण में है, और मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूं!*

 *आज तुम आए हो अब ना मैं तुम्हें जाने दूंगा बीकू से कुछ भी ना बोला गया और मन में सोचने लगा कि मैं यहां रह जाऊंगा तो मेरे माता-पिता और छोटी बहन का क्या होगा?*

 *बिहारी जी उसके मन की मंशा को समझ गए और कहने लगे तू उनकी चिंता मत कर! वहां पर एक सेठको जिस बस्तीें मे तेरे माता-पिता रहते हैं, मंदिर बनाना था,उन्होंने उस झोपड़ी के बदले तेरे माता-पिता को एक पक्का घर बना कर दे दिया है, और साथ में खाने पीने का भी पूरा प्रबंध है, तो उनकी चिंता मत कर अब तू यहीं रह !*

*अब से तू मेरा सखा है ।वह कहता मैं यहां कहां रहूंगा तो बिहारी जी बोले आज से तू बाहर माला फूलों की दुकान लगाया करेगा, और आज से मैं तेरे हाथ के बने फूलों की माला ही पहनुंगा ।*

*आज से तू मेरी शरण में है। मेरी शरण में जो एक बार आ जाता है, मैं उसका साथ नहीं छोड़ता। बीकु को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था,और वह आंखों में आंसू की धारा बहाता हुआ बिहारी जी का पांव में गिर पड़ा।*

 *जब उसने ऊपर उठकर देखा तो बिहारी जी वहां नहीं थे वह तो मंदिर में विराजमान थे! बिहारी जी की अपने ऊपर ऐसी कृपा देखकर बीकू धन्य धन्य हो उठा,और बिहारी जी को एकटक निहारता रहा और मन में बोलता रहा बांके बिहारी लाल की जय हो!!*

HAVE FAITH IN YOURSELF

एक बार यह कहानी जरूर पढिये । आपके जीवन में जरूर बदलाव लाएगी ।

गिद्धों का एक झुण्ड खाने की तलाश में भटक रहा था।
उड़ते – उड़ते  वे एक टापू पे पहुँच गए। वो जगह उनके लिए स्वर्ग के समान थी। हर तरफ खाने के लिए मेंढक, मछलियाँ और समुद्री जीव मौजूद थे और इससे भी बड़ी बात ये थी कि वहां इन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था और वे बिना किसी भय के वहाँ रह सकते थे।

युवा गिद्ध  कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे, उनमे से एक ने बोला:-

” वाह ! मजा आ गया, अब तो मैं यहाँ से कहीं नहीं जाने वाला, यहाँ तो बिना किसी मेहनत के ही हमें बैठे -बैठे खाने को मिल रहा है!”

बाकी गिद्ध भी उसकी हाँ में हाँ मिला ख़ुशी से झूमने लगे।

सबके दिन मौज -मस्ती में बीत रहे थे लेकिन झुण्ड का सबसे बूढ़ा गिद्ध इससे खुश नहीं था।

एक दिन अपनी चिंता जाहिर करते हुए वो बोला:-

” भाइयों, हम गिद्ध हैं, हमें हमारी ऊँची उड़ान और अचूक वार करने की ताकत के लिए जाना जाता है। पर जबसे हम यहाँ आये हैं हर कोई आराम तलब हो गया है …ऊँची उड़ान तो दूर ज्यादातर गिद्ध तो कई महीनो से उड़े तक नहीं हैं…और आसानी से मिलने वाले भोजन की वजह से अब हम सब शिकार करना भी भूल रहे हैं … ये हमारे भविष्य के लिए अच्छा नहीं है …मैंने फैसला किया है कि मैं इस टापू को छोड़ वापस उन पुराने जंगलो में लौट जाऊँगा …अगर मेरे साथ कोई चलना चाहे तो चल सकता है !”

बूढ़े गिद्ध की बात सुन बाकी गिद्ध हंसने लगे। किसी ने उसे पागल कहा तो कोई उसे मूर्ख की उपाधि देने लगा। बेचारा बूढ़ा गिद्ध अकेले ही वापस लौट गया।

समय बीता, कुछ वर्षों बाद बूढ़े गिद्ध ने सोचा, ” ना जाने मैं अब कितने दिन जीवित रहूँ, क्यों न एक बार चल कर अपने पुराने साथियों से मिल लिया जाए!”

लम्बी यात्रा के बाद जब वो टापू पे पहुंचा तो वहां का दृश्य भयावह था।

ज्यादातर गिद्ध मारे जा चुके थे और जो बचे थे वे बुरी तरह घायल थे।

“ये कैसे हो गया ?”, बूढ़े गिद्ध ने पूछा।

कराहते हुए एक घायल गिद्ध बोला, “हमे क्षमा कीजियेगा, हमने आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया और आपका मजाक तक उड़ाया … दरअसल, आपके जाने के कुछ महीनो बाद एक बड़ी सी जहाज इस टापू पे आई …और चीतों का एक दल यहाँ छोड़ गयी। चीतों ने पहले तो हम पर हमला नहीं किया, पर जैसे ही उन्हें पता चला कि हम सब न ऊँचा उड़ सकते हैं और न अपने पंजो से हमला कर सकते हैं…उन्होंने हमे खाना शुरू कर दिया। अब हमारी आबादी खत्म होने की कगार पर है .. बस हम जैसे कुछ घायल गिद्ध ही ज़िंदा बचे हैं !”

बूढ़ा गिद्ध उन्हें देखकर बस अफ़सोस कर सकता था, वो वापस जंगलों की तरफ उड़ चला।

दोस्तों, अगर हम अपनी किसी शक्ति का प्रयोग नहीं करते तो धीरे-धीरे हम उसे खो देते हैं।

उदाहरण के तौर पर अगर हम अपने brain का use नहीं करते तो उसकी sharpness घटती जाती है, अगर हम अपनी muscles का use नही करते तो
उनकी ताकत घट जाती है… इसी तरह अगर हम अपनी skills को polish नहीं करते तो हमारी काम करने की efficiency कम होती जाती है!

तेजी से बदलती इस दुनिया में हमें खुद को बदलाव के लिए तैयार रखना चाहिए। पर बहुत बार हम अपनी current job या business में इतने comfortable हो जाते हैं कि बदलाव के बारे में सोचते ही नहीं और अपने अन्दर कोई नयी skills add नहीं करते, अपनी knowledge बढ़ाने के लिए कोई किताब नहीं पढ़ते कोई training program नहीं attend करते, यहाँ तक की हम उन चीजों में भी dull हो जाते हैं जिनकी वजह से कभी हमे जाना जाता था और फिर जब market conditions change होती हैं और हमारी नौकरी या बिज़नेस पे आंच आती है तो हम हालात को दोष देने लगते हैं।

ऐसा मत करिए…अपनी काबिलियत, अपनी ताकत को जिंदा रखिये…अपने कौशल, अपने हुनर को और तराशिये…उसपे धूल मत जमने दीजिये…और जब आप ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी आप ऊँची उड़ान भर सके !!!