दस बारह साल का लड़का भूख प्यास से व्याकुल हो के सड़को पर घूमते हुये,घर घर जाकर काम मांगता हैं फटे,पुराने कपड़े, पैरों में चप्पल नही,गाल पिचके घर घर जाकर कहता हैं बाबूजी,मालकिन कोई काम मिलेगा,लोग उसे कहते है छोटे बच्चों को काम पर रख कर हमें मुसीबत मोल नही लेनी, तो कोई उसे धक्के मार कर भागा देते हैं थक हारकर वहाँ के पेड़ के किनारें, बैठ जाता हैं, उसे जोरो की प्यास लगती हैं सामने ही एक घर के बाहर नल लगा रहता हैं, वो उठता हैं और पानी पीने लगता हैं, अंदर से एक महिला निकलती हैं, लड़का डर जाता हैं और कहता हैं मालकिन हम बस पानी पी रहें थे, हमने कुछ नही किया, उस औरत को उस पर तरस आ जाता हैं और पूछती हैं तुम कौन हो, यहाँ क्या कर रहें, लड़का कहता हैं मालकिन मैं काम की तलाश पर आया हूं पर मुझे कोई काम नही दे रहा, औरत कहती हैं तुम्हें भूख लगी हैं मैं खाना दे दूं?? लड़का कहता हैं मालकिन, हो सके तो हमें काम दे दिजिए, हम घर के सारे काम कर लेंगे, आपको शिकायत का कोई मौका नही देंगे।औरत भली थी, उसने उसको काम पर रख लिया, क्यूकि औरत का पति बाहर रहता था काम के सिलसिलें में, और उसका एक लड़का था, जो उस लड़के से तीन साल बड़ा था।
लड़का रोज काम पर जाता, और दिल लगाकर काम करता, वो महिला रोज अपने बच्चें से कभी खाने के पीछे, कभी कपड़े,कभी सोने,कभी किताबे,कभी पेन परेशान रहती क्यूकि उसका बच्चा अपनी माँ की बात को अनसुना कर देता, माँ रोज उस पर चिल्लाती लड़का उस पर ध्यान नही देता ।महिला अपने घर पर काम करने वालें लड़के को भी कपड़ा देती, खाना देती, लड़का जी मालकिन कह कर उनकी सारी बात मानता, उसके कहने से ही पहले, जैसे खाना खा के बर्तन साफ रखना, टेबल कुर्सी साफ रखना, हर चीज जो महिला अपने बच्चें को सीखना चाहती थी, वहाँ वो करता
एक दिन उस महिला के बच्चें ने अपनी टी शर्ट पर खाने की चीज गिरा दी, जब उसकी माँ ने उससे कुछ कहाँ तो वो उसे उल्टा जवाब देने लगा, कि आपको क्या करना है मेरी टी शर्ट है मैं जो करूं, बच्चें के इस व्यवहार से महिला दुखी हुई और रोते हुये कहने लगी,
देख वो भी तो बच्चा हैं ना तुझसे छोटा, वो कितना कहना मानता हैं मेरा, कभी शिकायत का मौका नही देता, तेरे पुराने कपड़े तेरे पुराने जुतें, तक कितना संभाल के रखा हैं ।उसकी माँ कितनी खुश होती होगी, जो उसका बच्चा उसकी हर बात मानता हैं, और वो महिला रोते रोते रूम के अंदर चली जाती हैं वो काम करने वाला पास खड़ा सब सुनते रहता हैं, और उस लड़के से कहता हैं। भाईया ,आपको मालकिन का दिल नही दुखाना चाहिए, आपको उनकी हर बात माननी चाहिए । वो लड़का गुस्सें से "तु ज्यादा हीरो मत बन तेरी माँ तो तुझसे खुश है और मेरी माँ भी, मेरी माँ तेरी बहुत तारीफ करती हैं तो तु मुझे ज्ञान मत दें।लड़के की ऑख में ऑसू आ गयें और उसने कहा"भाईया मैंने अपनी माँ को कभी देखा ही नही, मेरे पैदा होते ही मेरी माँ चल बसी, उसके बाद मेरे पिताजी भी चल बसें, मैं सबकी माँ देखता था, अपने बच्चों से प्यार करती हुई डांटती हुई, मारती हुई, और फिर प्यार से सर पर हाथ फेरते हुये खाना खिलाती हुई, मैं कितना रोता था, की मेरी माँ क्यूं नही, क्यूं मेरी माँ मुझे डाटती नही प्यार नही करती, क्यूं वो मुझे छोड़ गयी क्यू? फिर मैंने मालकिन की ऑखों में वही ममता आप के लिए देखी।आपसे प्यार करना रूठना मनाना, डाटना गुस्सा करना फिर आपका घंटो खड़े रहकर चौखट पर आपका इंतजार करना।आपको पता हैं भाईया जब आप स्कूल चले जाते हैं तो आपकी माँ,आपकी तस्वीर से बाते करती हैं, आपसे पूछती हैं क्यूं तु मेरी बात नही मानता क्यूं तु मुझे परेशान करता हैं, क्यूं टाइम पर खाना नही खाता, फिर आपके फेंके सारे कपड़े खुद अपने हाथों से प्यार से जमाती हैं, मुझे ये कहकर छूने नही देती, की मुझे अपने बच्चे के कपड़े खुद संभाल कर रखना बहुत पसंद हैं ।
भाईया सब की माँ नही होती,पर जिसकी होती हैं, उसको कद्र नही होती। भाईया मैं भले स्कूल नही गया
पर इतना पता हैं, माँ अपने बच्चों की भलाई, उनके भविष्य के लिये उन्हें डाटती हैं पर कहते हैं ना
मैं मालकिन की नजरों में हीरो बनाना चाहता हूं।नही भाईया।जब मालकिन प्यार से मुझे आपके पुराने कपड़े और जुते देती तो मुझे ऐसा लगता हैं मेरी माँ मुझे, इंसान बनना सीखा रही हैं, मैं इसलिए उनकी दी हर चीज को संभाल के रखता हूं,। आपको पता हैं जब मैं भूखा था, कोई काम नही था मेरे पास तो मालकिन ने मेरी ऑखें पढ़ी मेरी भूख देखी,और मुझे सहारा दिया, वो बहुत अच्छी है भाईया भगवान करें सबको ऐसी माँ मिले।
क्यूकि भाईया मेरी माँ तो इस दुनिया में नही हैं।पर माँ जैसे ही कोई मेरा ख्याल रखती हैं इसलिए मैं उनकी हर बात मानता हूं, अपनी माँ को तो नही देख पाया पर, मालकिन के रूप में माँ की ममता देख ली मैंनें ।
पास खड़ी ही उसकी मालकिन सब कुछ सुनती रहती हैं, पर उसकी हिम्मत नही होती, की उस बच्चें के सामने चली जाए,वो गरीब नौकर ऑसू पोछते हुये काम पर लग जाता हैं,और मालकिन का बच्चा अपनी माँ के गले लग जाता हैं।और वो महिला,अपने बच्चें को गले लगाए ये सोचती हैं, वो कौन सी माँ थी। जो इस बच्चें को जन्म दिया ।ईश्वर को किसी ने नही देखा।पर ईश्वर ने भी माँ को देखा हैं ।
Millions of millions years have passed and human civilization comes into existence. Existence of God is eternal truth
Mother is next to God

Genorosity in behavior
एक अति सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके दोनों हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई।
उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस से बोला "मै इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगी। क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके दोनों हाथ नहीं हैं।" उस सुन्दर महिला ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया। असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है..?"
'सुंदर' महिला ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी।"दिखने में पढी लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयरहोस्टेस अचंभित हो गई। महिला ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि "मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती। अतः मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।"एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी। एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है। अतः मैं विमान के कप्तान से बात करती हूँ। कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें।" ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई।
कुछ समय बाद लोटने के बाद उसने महिला को बताया, "मैडम! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है | इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है।"
'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती... एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा "सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे..? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा कर के परेशान हों।
यह बात सुनकर सभी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अति सुन्दर दिखने वाली महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।
तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, "मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे। सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था। की मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये..? लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों की खातिर अपने दोनों हाथ खोये।"और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।'सुंदर' महिला पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गई।अगर विचारों में उदारता नहीं है तो ऐसी सुंदरता का कोई मूल्य नहीं है।

Good deeds and bad deeds
एक चित्रकार था, जो अद्धभुत चित्र बनाता था।
लोग उसकी चित्रकारी की काफी तारीफ़ करते थे।
एक दिन कृष्ण मंदिर के भक्तों ने उनसे कृष्ण और कंस का एक चित्र बनाने की इच्छा प्रगट की।
चित्रकार इसके लिये तैयार हो गया आखिर भगवान् का काम था, पर उसने कुछ शर्ते रखी। उसने कहा मुझे योग्य पात्र चाहिए, अगर वे मिल जाए तो में आसानी से चित्र बना दूंगा। कृष्ण के चित्र लिए एक योग्य नटखट बालक और कंस के लिए एक क्रूर भाव वाला व्यक्ति लाकर दे तब मैं चित्र बनाकर दूंगा कृष्ण मंदिर के भक्त एक बालक ले आये, बालक सुन्दर था।चित्रकार ने उसे पसंद किया और उस बालक को सामने रख बालकृष्ण का एक सुंदर चित्र बनाया।अब बारी कंस की थी पर क्रूर भाव वाले व्यक्ति को ढूंढना थोडा मुस्किल था।
जो व्यक्ति कृष्ण मंदिर वालो को पसंद आता वो चित्रकार को पसंद नहीं आता उसे वो भाव मिल नहीं रहे
थे... वक्त गुजरता गया।आखिरकार थक-हार कर सालों बाद वो अब जेल में चित्रकार को ले गए, जहां उम्रकैद काट रहे अपराधी थे। उन अपराधीयों में से एक को चित्रकार ने पसंद किया और उसे सामने रखकर उसने कंस का एक चित्र बनाया। कृष्ण और कंस की वो तस्वीर आज सालों के बाद पूर्ण हुई।कृष्ण मंदिर के भक्त वो तस्वीरे देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। उस अपराधी ने भी वह तस्वीरे देखने की इच्छा व्यक्त की। अपराधी ने जब वो तस्वीरे देखी तो वो फुट-फुटकर रोने लगा।
सभी ये देख अचंभित हो गए। चित्रकार ने उससे इसका कारण बड़े प्यार से पूछा।तब वह अपराधी बोला "शायद आपने मुझे पहचाना नहीं, मैं वो ही बच्चा हुँ जिसे सालों पहले आपने बालकृष्ण के चित्र के लिए पसंद किया था।
मेरे कुकर्मो से आज में कंस बन गया, इस तस्वीर में मैं ही कृष्ण मैं ही कंस हुँ।हमारे कर्म ही हमे अच्छाऔर बुरा इंसान बनाते है

Pashupatinath Temple in Kathmandu Nepal
Kathmandu is the capital of Nepal and it is famous for Pashupatinath Temple which is Greater in size as well as famous in the world most of the tourist come to this place for worshiping Lord shiva and take blessing of Lord Shiva you can see the pictures of Pashupatinath Temple which is very rare and amazing to look at the temple. these pictures proves that there is a great importance of Lord Shiva in the world and people worship Shivling in every part of the world for peaceful and security and brotherhood.

Never disobey the elders
एक बहुत बड़ा विशाल पेड़ था। उस पर बीसीयों हंस रहते थे। उनमें एक बहुत सयाना हंस था, बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी। सब उसका आदर करते ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा, देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी। एक युवा हंस हंसते हुए बोला, ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी? सयाने हंस ने समझाया, आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही है। धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएंगे। दूसरे हंस को यकीन न आया, एक छोटी-सी बेल कैसे सीढ़ी बनेगी? तीसरा हंस बोला, ताऊ, तू तो एक छोटी-सी बेल को खींचकर ज्यादा ही लंबा कर रहा है। एक हंस बड़बड़ाया, यह ताऊ अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट-शंट कहानी बना रहा है। इस प्रकार किसी दूसरे हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी? समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखाओं तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई। जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था। सबको ताऊ की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी। एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिया उधर आ निकला। पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढ़कर जाल बिछाया और चला गया। सांझ को सारे हंस लौट आए और जब पेड़ से उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए। जब वे जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे, तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था। एक हंस ने हिम्मत करके कहा, ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो। दूसरा हंस बोला, इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे। सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया, मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकालकर जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पड़े रहना। जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना। सुबह बहेलिया आया। हंसों ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गए। बहेलिया अवाक होकर देखता रह गया। वरिष्ठजन घर की धरोहर हैं ।वे हमारे संरक्षक एवं मार्गदर्शक है। जिस तरह आंगन में पीपल का वृक्ष फल नहीं देता, परंतु छाया अवश्य देता है। उसी तरह हमारे घर के बुजुर्ग हमे भले ही आर्थिक रूप से सहयोग नहीं कर पाते है, परंतु उनसे हमे संस्कार एवं उनके अनुभव से कई बाते सीखने को मिलती है,
बड़े-बुजुर्ग परिवार की शान है वो कोई कूड़ा-करकट नहीं हैं, जिसे कि परिवार से बाहर निकाल फेंका जाए। अपने प्यार से रिश्तों को सींचने वाले इन बुजुगों को भी बच्चों से प्यार व सम्मान चाहिए अपमान व तिरस्कार नहीं। अपने बच्चों की खातिर अपना जीवन दाँव पर लगा चुके इन बुजुर्गों को अब अपनों के प्यार की जरूरत है। यदि हम इन्हें सम्मान व अपने परिवार में स्थान देंगे तो लाभान्वित ही होंगे । ऐसा न करने पर हम अपने हाथों अपने बच्चों को उस प्यार, संस्कार, आशीर्वाद व स्पर्श से वंचित कर रहे हैं, जो उनकी जिंदगी को सँवार सकता है। याद रखिए किराए से भले ही प्यार मिल सकता है परंतु संस्कार, आशीर्वाद व दुआएँ नहीं। यह सब तो हमें माँ-बाप से ही मिलती हैं।
