Direct connection with GURUJI

जय गुरु जी संगत जी I आज बहुत दिनों बाद कुछ लिख रहा हूं I बहुत सारी नयी पुरानी संगत से बाते होती हैं I सभी बातों का एक ही सार समझ आता है की गुरू जी से सिर्फ और सिर्फ direct connection ही करें किसी भी mediator की ज़रुरत नहीं है I और गुरु जी सुनते भी हैं I आज कल तो संगतों ने बाकायदा अलग अलग पुरानी संगतों को फॉलो करना भी शुरू कर दिया है I कोई कुछ बोलता है कोई कुछ बोलता है I माला मत चढाओI गुरु जी की गद्दी पर स्वरुप मत रखो गुरूजी कहाँ बैठेंगे I गुरूजी को दिल मे बिठाने की ज़रुरत है न ही उन्हें गद्दी चाहिए I परमात्मा तो एक प्रकाश पुंज है I ऐसे करो ये न करो वैसे करो I सब बेकार की बातें है इससे कुछ फरक नही पड़ता I न ही कोई ज्ञाता है I  इसलिए कुछ नही रखा इन बातों मे I हम सब यहाँ उपदेश लिखतें है मगर दूसरों के लिए, मानता कौन है I हम कितना अपनी ज़िन्दगी मे उतारते हैं I एक आंटी सत्संग के बाद जोर से बोली जय जय गुरु जी तो दूसरी आंटी ने उन्हें डांट दिया की ऐसे बोलना बड़े मंदिर ने मना किया है I लेकिन सत्संग के बाद जो डांस होता रहा वो ठीक है I गुरूजी को महसूस करना और उनमे खो के नाचना अलग बात है लेकिन जन्मदिन या होली मनाने के लिए नाचना अलग है वो सत्संग का हिस्सा नहीं बन सकता सत्संग का मतलब सिर्फ और सिर्फ भगवान का नाम लेना ही होता है और कुछ नहीं I बहुत सारी बातें हैं जो आपसे शेयर करनी है
नीवा पन मेरी गल बात विच रखीं I सरबत दा भला हो I