नानकी जी ने अपने भाई नानक देव जी से पूछा,भाई जी,आप तीन दिन तक कहाँ लोप रहे,गुरू जी ने कहा, "बहन जी मैं निरँकार के सचखण्ड देश में गया था।" वह निरँकार का सच खण्ड देश कैसा है" नानकी जी ने पूछा। इसके बाद गुरू नानक देव जी ने निरँकार के दर की महिमा,जपुजी साहिब में सो दर शब्द द्वारा वर्णन की तथा रहरासि की बाणी में सो दर के शब्द पढ़कर, जिसमें गुरू नानक देव जी ने निरँकार के दर की शोभा को आश्चर्य ढंग से उच्चारण किया है। गुरु नानक देव जी तीन दिन तक सच खँड में निरँकार के पास रहे और जगत् के शीघ्र कल्याण कि लिए यह यह मूलमँत्र लेकर आये थे।
ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि ॥
श्री गुरू नानक तथा सिक्ख धर्म का यह मूल मँत्र है और इसी नींव पर सिक्ख धर्म का महल उसारा गया था।
ੴ (एक ओअंकार) : अकाल पुरख केवल एक है, उस जैसा और कोई नहीं तथा वह हर जगह एक रस व्यापक है।
सतिनामु: उसका नाम स्थायी अस्तित्व वाला व सदा के लिए अटल है ।
करता: वह सब कुछ बनाने वाला है।
पुरखु: वह सब कुछ बनाकर उसमें एक रस व्यापक है।
निरभउ: उसे किसी का भी भय नहीं है।
निरवैरु: उसका किसी से भी वैर नहीं है।
अकाल मूरति: वह काल रहित है,उसकी कोई मूर्ति नहीं, वह समय के प्रभाव से मुक्त है।
अजूनी: वह योनियों में नहीं आता,वह न जन्म लेता है व न ही मरता है।
सैभं: उसे किसी ने नहीं बनाया, उसका प्रकाश अपने आप से है।
गुर प्रसादि: ऐसा अकाल पुरख गुरू की कृपा द्वारा मिलता है।
Millions of millions years have passed and human civilization comes into existence. Existence of God is eternal truth
GOD IS OMNIPRESENT

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