PRACTICAL IS MORE DIFFICULT THAN THEORY

एक महाजन सत्संग सुनने जाया करता था।
एक दिन उसके पुत्र ने कहा कि आप रोज सत्संग में जाते हो आज मैं जाऊंगा।
पिता ने कहा कि अच्छा जा। खैर !
पुत्र सत्संग में गया।
बड़े प्रेम के साथ वचन सुनता रहा।
वहां यह विषय आया कि किसी का नुकसान नहीं करना चाहिए किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए।
जब सत्संग से आकर वह दुकान पर बैठा तो इत्तेफाक से एक गाय आकर आटा खाने लग गई।
जैसे कि गायें बाजारों में फिरती रहती हैं।
मन में कहता है कि कितना आटा खा जाएगी?
2 सेर न सही 4 सेर खा जाएगी।
पिता देख रहा था पुत्र को कहता है आंखों के अंधे तुझे देखता नहीं कि गाय आटा खा रही है।
पुत्र ने कहा हमारे इतने मकान हैं कितना किराया आता है इतना ब्याज जाता है अगर यह 2-4 सेर आटा खा जाएगी तो क्या हो जाएगा।
पिता ने पूछा यह विचार तू कहां से लाया है?
पुत्र ने कहा सत्संग से।
पिता बोला फिर न जाना। मुझे 30 साल हो गए जाते हुए मैं वही धोती झाड़ कर आ जाता हूं।

1 comment:

MADHU BALA GUPTA said...

I didn't get such person like this